''मीठे गुड़ में मिल गए तिल, उड़ी पतंग और खिल गए दिल
हर पल सुख और हर दिन शांति, सबके लिए ऐसी हो मकर संक्रांति
हैप्पी मकर संक्रांति''

''ऊंची पतंग से ऊंची मेरी ऊड़ान होगी, इस जहां में मेरे लिए मंजिलें तमाम होंगी
जब भी आसमान की ओर देखोगे तुम दोस्तों, तुम्हारे ही हाथों में मेरी डोर के सात जान होगी
तिल भी पीली और गुड़ में मिठास होगी, मकर संक्रांति में मीठी सी याद होगी''
''काट ना सके कभी कोई पतंग आपकी, टूटे ना कभी डोर आपके विश्वास की
पा लो आप जिंदगी की सारी कामयाबी, जैसी छूती है पतंग ऊचाइयां आकाश की''
''है प्यारा यह पर्व हमारा, नया दिन और नया उजाला, मिट जाए सब क्लेश दिलों से

मकर संक्रांति पर यही है संदेश हमारा''
''खुशी का है ये मौसम, गुड़ और तिल का है ये मौसम
पतंग उड़ाने का है ये मौसम, शांति और समृद्धि का है मौसम''
''तन में छाई मस्ती और मन में उमंग, देकर सबको अपनेपन का गुड़ जैसा मीठापन
होकर साथ हम उड़ाएं पतंग, और भर दें आकाश में अपने ही रंग''
''मंदिर की घंटी, आरती की थाली, नदी के किनारे, सूरज की लाली
जिंदगी में आये, खुशियों की बहार, मुबारक हो आपको मकर संक्रांति का त्यौहार''

''मूंगफली की खुशबू और गुड़ की मिठास, मक्के की रोटी और सरसों का साग
दिल की खुशी और अपनों का प्यार, मुबारक हो आपको मकर संक्रांति का त्यौहार''
''गुड़ की मिठास, पतंगों की आस, संक्रांति मनाओ, जम कर उल्लास
हैप्पी मकर संक्रांति''

त्यौहार नहीं होता अपना या पराया, त्यौहार वही जिसे मिलकर मनाया
तो मिला दो गुड़ में तिल, मिल जाने दो प्यार भरे दिल
हैप्पी मकर संक्रांति