बॉलीवुड की दिग्गज एक्ट्रेस सीमा बिस्वास ने फिल्म बैंडिट क्वीन में फूलन देवी का किरदार निभाया था. फिल्म में बेहतरीन अदाकारी के लिए उन्हें नेशनल अवॉर्ड भी मिला. एक इंटरव्यू में उन्होंने फिल्म बैंडिट क्वीन में अपने रोल और इंटीमेट सीन की शूटिंग पर खुलकर बातें की थीं. 10 अगस्त, 1963 को फूलन देवी का जन्म हुआ था. अपने जीवन में जो भी संघर्ष उन्होंने झेला था वो फिल्म के जरिए शेखर कपूर ने पूरी ईमानदारी से दिखाया. फिल्म को भी दुनियाभर में सराहा गया. फिल्म में कुछ ऐसे सीन्स भी थे जिनकी शूटिंग करना इतना आसान नहीं था. आज फूलन देवी का जन्मदिन है।

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बोल्ड सीन्स, गाली-गलौज और न्यूड सीन के चलते ये फिल्म काफी विवादित रही थी. हालांकि, इस सीन को सीमा ने खुद नहीं बल्कि बॉडी डबल ने किया था. सीमा के मुताबिक, उन्होंने डायरेक्टर शेखर कपूर से कहा था कि फिल्म से न्यूड सीन हटा दिए जाएं, लेकिन शेखर ने कहा कि सत्य घटना पर आधारित इस फिल्म में लोगों की असंवेदनशीलता को दिखाने के लिए वह सीन करना जरूरी है. सीमा ने खुलासा किया कि इस सीन को शूट करते समय डायरेक्टर और कैमरामैन के अलावा किसी का भी अंदर आना मना था. इस न्यूड सीन के कारण उन्हें रात-रात भर रोना पड़ा था

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10 अगस्त 1963 को उत्तर प्रदेश के जालौन के घूरा का पुरवा गांव में फूलन देवी का जन्म एक मल्लाह परिवार में हुआ था। फूलन देवी का बचपन बेहद गरीबी में बीता था लेकिन वो बचपन से ही दबंग थीं। 10 साल की उम्र में जब उन्हें पता चला कि चाचा ने उनकी जमीन हड़प ली है तो चचेरे भाई के सिर पर ईंट मार दी थी। फूलन के घरवाले उनकी इस हरकत से इतना नाराज हो गए थे कि महज 10 साल की उम्र में 35 साल बड़े आदमी से शादी कर दी थी। शादी के बाद उनके पति ने रेप किया, धीरे-धीरे फूलन की तबीयत इतनी बिगड़ गई कि उन्हें मायके आना पड़ गया

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फूलन देवी जब वापस अपने ससुराल गईं तो पता चला कि उनके पति ने दूसरे शादी कर ली है। जिसके बाद पति और उसकी दूसरी पत्नी ने फूलन देवी को घर में घुसने नहीं दिया। इस दौरान फूलन देवी की मुलाकात कुछ ऐसे लोगों से हुई जो डाकुओंं के गैंग से थे। ये लोग उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश के बॉर्डर बुंदेलखंड में सक्रिय थे। बाद में फूलन देवी उन्हीं के गैंग में शामिल हो गईं और चंबल की मुख्य डाकुओं में से एक बनीं। इस गैंग में दो डाकुओं को फूलन देवी से प्यार हो गया, हालात ऐसे हो गए कि एक डाकू ने विक्रम मल्लाह नाम के दूसरे डाकू की हत्या कर दी।

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इस घटना के कुछ समय बाद ही ठाकुरों के गैंग ने फूलन को किडनैप कर बहमई गांव ले गए और 3 हफ्ते तक गैंगरेप किया। यहां से किसी तरह बच निकलने के बाद फूलन डाकुओं के गैंग में शामिल हो गईं। 1981 में फूलन बहमई गांव गईं, जहां उनका रेप हुआ था। फूलन देवी ने रेप करने वाले दो लोगों को पहचान लिया। उसके बाद गांव के 22 ठाकुरों को गोली मार दी। फिल्म 'बैंडिट क्वीन' में भी यह दिखाया गया है। इस घटना के बाद ही फूलन देवी की चर्चा चारों ओर होने लगी और उनका नाम बैंडिट क्वीन पड़ गया।